अब्बू के लंड की दीवानी अब्बू की परी part 2 – Muslim Sex stories

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Muslim Sex stories : बाप बेटी के बीच सेक्स की शुरुआत की है|जवान होती बेटी को लंड की तलब लगी तो उसे सबसे पास अपने अब्बू का लंड नजर आया| उसने उसे ही हासिल करने की कोशिश की|

दोस्तो, मैं नाजिया आपको अपने अब्बू से अपनी चुदाई की कहानी सुना रही थी|कहानी के पहले भागजवान लड़की की अन्तर्वासना जागीमें अब तक आपने पढ़ा था कि उस रात को मम्मी की नाइट ड्यूटी थी और घर में मैं अब्बू के साथ अपनी रात रंगीन करने की तैयारी में थी|

अब्बू ने मुझसे मूवी देखने के लिए कहा|मैंने भी हां में सर हिलाया और हम ड्रॉइंग रूम के सोफे पर बैठ गए|अब्बू ने मूवी भी इंग्लिश वाली लगाई और हम दोनों बैठ मूवी देखने लगे|अब्बू स्नॅक्स भी लाए थे तो हम साथ में वो भी एंजाय करने लगे|

तभी मूवी में एक किसिंग सीन आ गया, तो हम दोनों एक दूसरे को देखने लगे| अब्बू ने मुस्कुराते हुए कहा,क्या हुआ?मैंने कहा,कुछ नहीं|मैं अब्बू से लिपट कर बैठ गई|अब्बू ने भी अपनी बांहें खोल कर मुझे अपनी बांहों में भर लिया|

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वे अब मेरी पीठ से लेकर कमर तक अपने हाथ से मुझे सहलाने लगे|मैं भी उनकी जांघों पर हाथ फेरने लगी|अभी मैंने अपने हाथ को लंड नहीं पहुंचाया था| तभी अब्बू ने कहा,तुम्हारी चॉकलेट किधर है?

मैंने टेबल से उठा कर उनके हाथ में चॉकलेट दे दी|वो बोले,चलो एक खेल खेलते हैं|मैं बोली,कैसा गेम?वो कहने लगे,मैं तुम्हारी आंखों पर पट्टी बांध कर मेरे बदन के कोई भी हिस्से पर चॉकलेट लगाऊंगा, तुम्हें अपनी जुबान से टच करके बताना है कि वो कौन सा हिस्सा है|

अगर तुम्हारा जवाब सही हुआ तो फिर मैं आंख पर पट्टी बांधूँगा और तुम चॉकलेट लगा कर गैस करने का बोलोगी … ओके! मैंने कहा,हां, इस खेल में मज़ा आएगा अब्बू!वे बोले,तो ठीक है, अब मैं तुम्हारी आंखों पर पट्टी बांध देता है |

मैंने कहा,ठीक है|फिर अब्बू ने मेरी आंखों पर पट्टी बांध दी और चॉकलेट का रैपर निकाल कर उसे अपने जिस्म पर कहीं पर लगा कर कहा,मेरी परी, अपनी जुबान बाहर निकालो |

मैंने वैसे ही किया|उन्होंने चॉकलेट लगा वाला हिस्सा आगे कर दिया|मैंने जुबान से महसूस किया तो वह उनका निप्पल था| मैंने कहा कि ये आपका निप्पल है|यह कह कर मैंने आंख से पट्टी हटाई, तो मैं सही थी |

फिर मैंने एक कामुक स्माइल देते हुए कहा,अच्छा तो इस तरह से खेलना है ये गेम?अब्बू ने कहा,हां|अब मेरी बारी थी|मैंने अब्बू की आंखों पर पट्टी बांधी और सोचने लगी कि मैं चॉकलेट कहां लगाऊं |

फिर मैंने अपनी नाभि में चॉकलेट लगाई और खड़ी होकर अब्बू से कहा,अपनी जुबान बाहर निकालो| अब्बू ने जीभ बाहर निकाली, तो मैंने अपनी कमर आगे करके उनकी जुबान के पास रख दी|उन्होंने मेरे कहने पर अपनी जुबान आगे बढ़ाई और मेरे नाभि पर लगा दी |

हाय … वो पल तो ऐसा था मानो मेरे जिस्म का सारा खून निचुड़ गया हो और मेरे जिस्म में खून नहीं करंट दौड़ रहा हो|ऐसी कामवासना मैंने पहली बार महसूस की थी|मैं मदहोश होती चली जा रही थी |

अब्बू ना जाने क्या समझ रहे थे पर वे मेरे पूरी नाभि में जीभ को ऐसे डाल रहे थे, जैसे वो शहद की कटोरी हो|मैं अपना आपा खोती जा रही थी|तब मैं कुछ पीछे को हो गयी, तो अब्बू ने कहा,मुझे समझ नहीं आया |

यह कह कर उन्होंने मुझे वापस अपनी तरफ़ खींच लिया और मेरी नाभि में फिर जीभ डाल कर उसे चाटने चूसने लगे|मुझसे नहीं रहा जा रहा था| मैंने भी हल्की हल्की सिसकारियां भरना शुरू कर दीं,आह अब्बू धी||रे आह नहीं … ऊह अब्बू |

अब्बू ने कहा,समझ आ गया … ये तुम्हारी नाभि है|यह कह कर अब्बू ने पट्टी हटा दी|उन्होंने कहा,चलो, अब आंखें बंद करो मेरी बारी आ गई है|ये कह कर उन्होंने मेरी आंखों पर पट्टी बांध दी|

मैं बस यही सोच रही थी कि अबकी बार प्लीज़ अब्बू अपने लंड पर चॉकलेट लगा लो, तो मजा आ जाए|अब्बू ने कहा कि मैंने चॉकलेट लगा ली है, चलो जीभ बाहर निकालो|मैंने जीभ निकाली और चॉकलेट को महसूस करने लगी|

मुझे पूरी जीभ घुमाने के बाद अहसास हुआ कि कुछ आगे से सुडौल और मोटा है|मैं अपने होंठों से उसे पकड़ने लगी|आह … वो क्या अहसास था| एक विशाल मोटे कड़क लंड का ऊपरी हिस्सा यानि मर्द का शिश्न मुंड मेरे मुँह में था |

बस मन कर रहा था कि इसे अभी तोड़ कर खा जाऊं|ऐसा करते करते मैं उस लंड को अपने मुँह में पूरा अन्दर लेने की कोशिश करने लगी|अब्बू ने कहा,आह बेटी आराम से … आह शश धीरे मेरी रानी |

मैं पट्टी हटाने लगी, तो अब्बू ने कहा,पहले थोड़ा और महसूस करके इसका नाम बताओ|मैं भी और अच्छे से पूरे लंड को चूसने लगी|अब्बू की कामुक सिसकारियों की आवाज़ बढ़ने लगी |

‘आह … ऑह … मेरी रानी … आह … मेरी परी … क्या बात है तुझे तो बड़ी अच्छी तरह से चूसना आता है|’इधर मुझे ऐसा लगने लगा था कि मैं जैसे दुनिया की सबसे प्यारी चीज़ चूस रही है |

मैं अपने आप को रोक नहीं पा रही थी|अब्बू का मोटा लंड मेरे मुँह में आ भी नहीं रहा था; पर मैं तब भी जितना बन रहा था, उतना लंड अन्दर लेकर चूस रही थी|मेरे अब्बू का लंड बहुत ही मोटा था |

फिर भी मैं उसको हर तरीके से चूस और चाट रही थी|अब्बू ने मेरे बाल पकड़ कर सर को ऊपर की तरफ़ किया और अपने लंड को हाथ में पकड़ कर मेरी जीभ व मुँह पर रगड़ने लगे|

हाय … वो अहसास आज भी याद करती है,, तो चूत गीली हो जाती है|अब्बू ने मुझसे अलग होकर पूछा,समझ आया मेरी बिटिया रानी को?मैंने कहा,हां, ये मेरे अब्बू का प्यारा सा लंड है|

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ये सुनते ही अब्बू ने मेरी पट्टी हटा दी|अब जो मैंने देखा कि मेरी सब से प्यारी चीज़ वो लंड आहह … जिसे देख कर बस उससे छूने चाटने चूसने का मन कर रहा था, मेरे सामने फुंफकार रहा था |

अब्बू का लंड काफी लम्बा, मोटा था|हाय … मेरी तो जान निकली जा रही थी|अब्बू ने कहा,सही जवाब दिया मेरी बिटिया ने … चलो अब फिर से हमारी बारी है|मैंने अब्बू की आंखों पर पट्टी बांध दी|

अब मैं सोचने लगी कि चॉकलेट कहां लगाई जाए|मैंने अब नाभि से ज़रा और नीचे जाने का सोचा, पर पहले पीछे की तरफ से सोचा मन ही मन मुस्कुराते हुए मैंने अपने कपड़े उतार दिए और अपनी पैंटी नीचे सरका कर गांड के छेद में चॉकलेट को लगा दिया |

सोफे पर डॉगी स्टाइल में लेट कर अब्बू के मुँह को दिशा बता दी|जैसे ही अब्बू ने अपना मुँह लगाया, कसम से गांड में से जो करेंट निकल कर बॉडी में दौड़ा, मेरी चीखें निकलना शुरू हो गईं |

‘आआहह … नहीं अब्बू … आह|’पर अब्बू को तो जैसे ख़ज़ाना मिल गया था|अब्बू ने दोनों हाथों से मेरी गांड को पकड़ा और पागलों की तरह मेरी गांड के छेद पर अपनी जीभ रगड़ने लगे|वे एक भूखे शेर की तरह उससे खा लेना चाहते थे|

मेरी हालत मज़े की वजह से खराब होती चली गई|मैं कहे जा रही थी,आह … अब्बू … आहह … आराम से चाटो|पर अब्बू ने मेरी एक नहीं सुनी जब तक उन्होंने मेरी गांड के छेद को पूरा चाट चाट कर लाल नहीं कर दिया |

तब तक वो नहीं रुके|फिर अपनी पट्टी निकाल कर बोले,मेरी परी, आज तक बहुत सी गांड को चाट कर उनका स्वाद चखा था, पर तुम्हारी गांड के स्वाद की बात ही कुछ और निकली मेरी बिटिया रानी |

फिर मैंने पहले अपनी पैंटी ऊपर कर ली और कहा,अब्बू, ऐसी भी क्या बेकरारी थी| मैं तो कभी भी अपनी गांड चटवाती आपसे, इतनी बेदर्दी से भला कौन गांड को चाटता है| मुझे तो लगता है आपने मेरी गांड छील कर रख दी है|

अब्बू बोले,बिटिया तुम्हारी गांड के स्वाद जैसा कुछ नहीं मिला आज तक| फिर तुम्हारी गांड की सुगंध मुझे और दीवाना करती जा रही थी|मैं मुस्कुरा दी|अब्बू ने गौर से मेरी तरफ देखा |

मैं उन्हीं के साथ खरीदी हुई ब्रा पैंटी में खड़ी थी|वो देख कर बोले,देखो तो मेरी बेटी कितनी जवान लग रही है|मैं शर्माने लगी तो मेरे करीब आकर मुझे अपनी गोद में उठा कर बेडरूम में लेकर गए और बेड पर पटक दिया |

फिर खुद भी मेरे बदन पर चढ़ कर मुझे हर जगह चूमने चाटने लगे,मैं मादक सिसकारियां भरने लगी ‘आह … ऊओह … आह …’वे मेरे होंठों को चूमते हुए मेरी ब्रा निकाल कर मेरे स्तन को दबाने लगे|मैं और मदहोश होती जा रही थी|

अब्बू अपने होंठों को मेरे नाज़ुक से निप्पल पर रख उसे चूसने लगे|आह क्या बताऊं मैं अपनी वासना को बयान नहीं कर सकती कि कितना अधिक मजा आ रहा था| अब्बू ने मेरे निपल्स के साथ भी बेदर्दी शुरू कर दी |

चूसते हुए वे उन दोनों को बारी बारी से काटने भी लगे थे|दोस्तो, उस बेदर्दी में जो मज़ा था … हाय … अपने हाथ से कितना भी मींज लो, कभी वैसा सुख मिल ही नहीं सकता था|

फिर अब्बू ने मेरी पैंटी को भी निकाल दिया और अब खड़े होकर मेरी टांगें फैला कर मेरी चूत को घूरने लगे|मैंने मदहोशी के आलम में उन्हें उनके नाम से आवाज़ लगा कर कह दिया-सुलेमान, वो चूत सिर्फ़ देखने के लिए नहीं है … इसका कुछ करो|

यह सुनते उनका जोश और बढ़ गया,की नंगी टांगों को अपने कंधों रख लिया और मेरी चूत पर थूक डाल कर उसे मसल दिया|फिर उन्होंने अपने लंड पर भी थूक लगाया और चूत की नाज़ुक फूल सी कलियों पर अपने बेदर्द सुपारे को रख कर चूत को थोड़ा सहलाने लगे |

लौड़े की गर्मी पाकर मेरी मदहोशी को और बढ़ाने लगे|अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, तो मैंने कहा,अब्बू प्लीज, मुझे अपनी रंडी बना लो … चोदो आज जैसे चोदना है … बस चोद दो जल्दी से|

ये सुनते अब्बू ने अपने सुपारे को मेरी चूत के छेद पर लगाया और धक्का दे मारा|‘हाय … मां मर गई … मेरी फट गई … ऊऊह … नहीं अब्बू …!’पर अब्बू ने फिर से एक धक्का मारा और लौड़े से मेरी चूत फाड़ दी |

‘आअहह … नहीं अब्बू …’ये कह कर मैं पूरी ताकत से खुद को छुड़ाती हुई पीछे को होकर अब्बू को खुद से अलग कर लिया|मैं हट गई और अपनी चूत पकड़ कर रोने लगी|

‘नहीं अब्बू, आपका लंड बहुत बड़ा है … आपकी परी की चूत इतना बड़ा लंड नहीं ले पाएगी अब्बू … नहीं अब्बू ने मुझे अपनी गोद में उठाया और खड़े होकर मुझे अपनी गोद में लेकर घर में घुमाने लगे |

वे एक हाथ से मेरी चूत को भी सहला रहे थे और मुझे पूरे घर में गोद में बिठा कर घुमा भी रहे थे|अब्बू कह रहे थे,अरे हमारी बिटिया की नाज़ुक सी चूत पर कितना प्रेशर आ गया सॉरी … मेरा बच्चे अब्बू बहुत गंदे हैं ना!

मैंने कहा,नहीं अब्बू, बस मेरी चूत अभी नाज़ुक है|वे बोले,चलो फिर नाज़ुक चीज़ से नाज़ुक काम लेते हैं|यह कह कर उन्होंने मुझे डाइनिंग टेबल पर ही लिटा दिया और मेरी टांगों को फैला कर फिर से मेरी चूत को घूरते हुए अपनी जुबान से उसे चाटने लगे |

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फिर धीरे धीरे मेरी चूत में अपनी जीभ भी डाल दी और अब मेरी नाज़ुक सी गुलाबी चूत को अपनी जीभ से छोड़ने लगे| मेरा दर्द तो जैसे खत्म ही हो गया था, मेरी सिसकारियां फिर शुरू हो गई थीं |

‘ऊऊओ … अब्बू … मेरी जान … अब्बू अहह|’अब्बू ने बहुत देर तक मेरी चूत चाट कर मुझे झड़ा दिया और फिर से मेरे हाथों में अपना लंड सौंप दिया|मैंने भी डाइनिंग टेबल से उतर कर घुटनों पर बैठ कर अब्बू को झड़ाने का काम शुरू कर दिया |

अब्बू के लंड को गीला करके मसलना शुरू किया और चूसने लगी| थोड़ी देर के बाद अब्बू भी झड़ने लगे, तो मेरे बालों को पकड़ कर मुँह ऊपर किया और मेरे चेहरे पर झड़ गए|

मैं उनके रस को चाटने लगी|कुछ देर बाद अब्बू ने मुझे वापस गोद में उठाया और बाथरूम में ले गए | उधर हम दोनों फव्वारे से नहाये और कमरे में आकर हम दोनों सोने लगे|

उस दिन अब्बू के बड़े लंड से मैं डर गई थी, तो अब्बू का लंड चूत में लेने की हिम्मत नहीं कर पा रही है,| अभी भी हम दोनों सिर्फ चुदाई का मजा लेते हैं|लेकिन एक ना एक दिन तो मेरी गांड फटेगी ही … वो भी अब्बू के ही लंड से!देखो वो दिन कब आयेगा|

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