जीजा जी की बड़ी बहन को चोदा – Antarvasna Sex Story

Antarvasna Sex Story

Antarvasna Sex Story

Antarvasna Sex Story : सेक्स की कहानी में मैं अपनी बहन के घर गया तो उनकी सास ने मुझे बहन की ननद को लिवाने भेज दिया. मैं उसे अपनी साइकिल पर बिठाकर लाया.

आप सभी को नमस्कार मेरा नाम राजेश है. मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं.
मेरी उम्र 26 साल है.
मेरी लंबाई 5.5 और लंड का साइज 7 इंच है.

आज मैं आपको बताने वाला हूँ कि कैसे मैंने अपनी बड़ी बहन की ननद सुजाता (बदला हुआ नाम) की चुदाई की.

यह सेक्स की कहानी तब की है, जब मैं 20 साल का था.
चूंकि मैं देहाती परवेश से आता हूँ तो काफी अच्छा शरीर था.

उस समय मैं पहलवानी भी करता था, तो मस्त बॉडी थी.
लड़कियां मुझे देखते ही मोहित हो जाती थीं.

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मैं खेती किसानी करता था तो शरीर से मेहनत करने के कारण खूब ऊर्जा थी.

हमारा परिवार बस पैसे से जरा कमजोर था लेकिन खाता पीता परिवार है.
बस बहुत ज्यादा सुख सुविधाएं नहीं हैं.

दोस्तो, मैं अपने इसी शरीर की बदौलत मैं अपने गांव की चार भाभियों को चोद कर उन्हें पेट से कर चुका हूँ और दो लड़कियां भी मेरे लंड की दीवानी हैं, उन्हें मैं जब तब चोदता रहता हूँ.

गांव में चुदाई की जगह की कोई कमी नहीं होती है.

सुबह बड़े अंधेरे मैं शौच के लिए खेतों में निकल जाता और मेरे लौड़े की दीवानी भाभी या लड़की मेरे लंड से उधर किसी खेत में चुदवा लेती थी.

सुबह सुबह जिस्म में वासना की आग भी भरपूर होती है और चुदाई भी दमदार होती है.

हुआ यूं कि मैं उस अपनी बहन की ससुराल गया था.

उधर मेरा जाना अक्सर होता रहता था.

बहन की ससुराल दस किलोमीटर ही थी तो बड़े आराम से मैं अपनी साइकिल से चला जाता था.

उस दिन जब मैं उनके घर गया तो मेरी बहन की सास ने कहा- तुम और राहुल (सुजाता का छोटा भाई) जाकर सुजाता को उसकी ससुराल से ले आओ. क्योंकि काफी दिन हो गए हैं, वह आई नहीं है.
मैंने कहा- ठीक है.

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सुजाता दीदी की ससुराल भी कोई अधिक दूर नहीं थी.
यूं समझो कि सात किलोमीटर चलना पड़ता था.

चूंकि हमारे गांव मुख्य सड़क से अन्दर हैं तो उधर बसें नहीं चलती थीं.
कुछेक टैंपू चलते थे और वे भी ठसाठस भरने के बाद चलते थे जिस वजह से उनकी सवारी एक किस्म से जी का जंजाल ही थी.

अब मैं राहुल के साथ अपनी साइकिल से सुजाता दीदी को ले आने के लिए घर से चल दिया.

जब सुजाता दीदी के घर पहुंचे.
तो हम दोनों को आया देखकर सुजाता दीदी बहुत खुश हुईं.

मैं पहली बार दीदी के घर गया हुआ था.
मेरे मन में अब तक सुजाता दीदी बारे में कोई गलत ख्याल नहीं था.

हम दोनों को बिठा कर दीदी हमारे लिए पानी ले आईं.
हमने पानी पिया और दीदी से बात करने लगे.

उनके साथ हँसी मजाक करते काफी समय हो गया.
दीदी ने कहा- चलो तुमको मैं अपना घर दिखाती हूँ.

मैं उनके साथ घर देखने चला गया.

काफी बड़ा घर था.
फिर दीदी अपने बेडरूम में ले गईं और वहीं पर खाना ले आईं.

खाना खाकर हम सब बात करने लगे.

मैंने कहा- दीदी आप जल्दी से तैयार हो जाओ, नहीं तो मुझे अपने घर वापस जाने में देर हो जाएगी!
दीदी बोलीं- ठीक है.

वे तैयार होने लगीं और हम सभी जल्दी ही उनके घर से निकल दिए.

दीदी को मैंने अपनी साइकिल के डंडे पर बिठाया और उनके घर के लिए निकल पड़े.
रास्ते में इधर उधर की बातें हँसी मजाक करते हुए हम तीनों आ रहे थे.

मेरी टांगें पैडल चलाते हुए दीदी की गांड से रगड़ रही थी और उन्हें शायद मेरी मजबूत टांग का स्पर्श काफी अच्छा लग रहा था.

साइकिल पर आगे डंडे पर किसी लड़की को बिठा कर जब आप चलेंगे तो आपको अपनी बांहों में उस लड़की को लिए हुए होने का मादक अहसास होगा.

हालांकि मेरे मन में दीदी के लिए कुछ गलत ख्याल नहीं थे.
लेकिन मैं अब तक जवान भाभियों और लड़कियों को चोद चुका था, तो मुझे सुजाता दीदी का स्पर्श कुछ कुछ मस्त सा लगने लगा था.

अब उनसे कुछ कह तो सकता नहीं था क्योंकि रिश्ते में वे मेरे जीजा जी की बहन लगती थीं तो मैं पूरे सम्मान की नजर से ही उन्हें देख रहा था.

काफी दूर आने पर मैंने एक बड़ी ही सुंदर लड़की को देखा.
मैं उसको देखने लगा.

मुझे उसको देखते हुए दीदी ने देख लिया और वे बोलीं- क्या हुआ?
मैं- कुछ भी तो नहीं!

दीदी ने कहा- बड़े ध्यान से देख रहे हो उसको … पटाना है क्या?
मैं- नहीं दीदी, आप भी कैसी बात कर रही हैं!

दीदी ने कहा- अरे पटा लो … मैं कुछ नहीं कहूँगी!
उनकी इस बात हमारे बीच हंसी ठिठोली होने लगी.

सुजाता दीदी का भाई मेरे पीछे कैरियर पर बैठा था, उसे तो कुछ ज्यादा समझ में नहीं आ रहा था, पर सुजाता दीदी कुछ ज्यादा ही मजा ले रही थीं.

इसी मुद्दे पर हम दोनों में काफी देर तक बात चलती रही.
हम दोनों उस लड़की के बारे में बातें करते हुए अपने घर पहुंच गए.

वहां पहुंचते पहुंचते शाम हो गयी थी.
मैंने कहा- अब मैं चलता हूं.

सभी लोग मना करने लगे.
मेरी दीदी की सास बोलीं- आज यहीं रुक जाओ, कल सुबह चले जाना.

मैं- खेतों में बहुत काम है!
तो सुजाता दीदी ने कहा- रात को कौन से काम करोगे? आज रुक जाओ न … कल चले जाना. मैं तुम्हारे घर फोन कर देती हूँ. सुबह एक दो घंटे देर से काम कर लेना.

फिर सुजाता दीदी ने मेरे घर पर फोन करके बता दिया कि मैं आज नहीं आ रहा हूँ.
मेरी माँ ने भी ठीक है बोल दिया.

अब मुझे रुकना पड़ा.

रात हुई तो सभी लोग अपनी अपनी जगह में सोने चले गए.
सबके बिस्तर दालान में लगे थे.

सुजाता दीदी अन्दर वाले कमरे में पंखे के नीचे सोने वाली थीं.

सुजाता दीदी ने मुझसे पूछा- तुम कहां सोओगे?
मेरे मुख से न जाने कैसे निकल गया कि मैं आपके साथ सो जाऊंगा!

वे मुस्कुरा कर मेरा बिस्तर लगाने चल दीं.
कुछ देर में दीदी ने बुलाया और कहा- तुम यहीं सो जाओ.

जब मैं कमरे में गया तो देखा कि दो चारपाई लगी थीं.

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मैंने दूसरी चारपाई की तरफ इशारा करते हुए पूछा- यहां कौन सोयेगा?
दीदी बोली- मैं … और कौन!
मैं चुप हो गया.

उसके बाद दीदी घर का काम करने चली गईं.

लगभग एक घंटे बाद वे वापस आईं, तब तक घर के सब लोग सो गए थे.

मुझे नींद नहीं आ रही थी.
दीदी बोलीं- नींद नहीं आ रही है क्या?
मैं- पता नहीं क्यों नहीं आ रही है!

दीदी बोलीं- सो जाओ, काफी थक गए होगे!
मैं- हां थक तो बहुत ज्यादा गया हूँ.

उसके बाद दीदी से बात करते हुए पता ही नहीं चला कि कब नींद आ गयी.

रात को लगभग 1 बजे के करीब मुझको सुसु लगी और मैं सुसु करने बाहर गया.
बाहर देखा तो सब लोग सो रहे थे.

मैं अपने बिस्तर पर आकर लेटने वाला था कि तो दीदी ने धीमी आवाज में कहा- मेरे पास नहीं सोओगे क्या?
मैं मजाक में बोला- हां क्यों नहीं.

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यह बोलकर मैं अपने बिस्तर पर लेटने ही वाला था कि दीदी ने फिर से बोला- तो यहां आओ न!
मैं कुछ देर वहीं खड़ा रहा.

दीदी बोलीं- क्या सोच रहे हो, आ जाओ न!
मैं हिम्मत करके उनकी चारपाई के पास पहुंचा तो दीदी थोड़ा खिसक गईं.

वे बोलीं- आ जाओ.
मै डरते हुए उनके बिस्तर पर लेट गया.
हम दोनों के बीच में थोड़ी जगह खाली थी.

थोड़ी देर में वे मेरे से चिपक गईं.
मेरी सांसें बहुत तेज चल रही थीं.

तो दीदी बोलीं- डर क्यों रहे हो?
मैं बोला- पता नहीं क्यों?

दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने एक मम्मे के ऊपर रख दिया.

दीदी के दूध बहुत नर्म लग रहे थे.

मैंने धीरे से दूध को दबाया तो उनके मुँह से मीठी आह निकल गई.

उसके बाद दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और काफी जोर से अपने मम्मे को दवबा लिया.

उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिए.
फिर मैं भी दीदी के होंठ चूसने लगा.

करीब 15 मिनट तक मैं उनके होंठों को चूसता रहा और इसी बीच मैंने उनके ब्लॉउज को भी खोल दिया.
दीदी ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी.

उनके दोनों दूध खुले हो गए.
मैं दीदी के एक मम्मे को चूसने लगा और दूसरे को दबाने लगा.

धीरे धीरे मैंने दीदी की साड़ी को ऊपर किया तो पता चला कि उन्होंने पैंटी भी नहीं पहनी है.
उनकी चूत पर छोटे छोटे बाल थे.

मैंने अपनी एक उंगली को उनकी चूत में डाल दिया.
चुत में काफी गीला और गर्म लग रहा था.

तभी दीदी मेरी पैंट की चेन खोलने लगीं.
मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर उनके हाथ में दे दिया.

लंड पकड़ते ही दीदी बोलीं- काफी बड़ा है!
मैंने कहा- तो चूस लो.

दीदी लंड को चूसने लगीं.
तब मैंने Xxx 69 सेक्स करने के लिए कहा- दोनों एक दूसरे का आइटम चूसते हैं!

दीदी 69 में हो गईं और हम दोनों एक दूसरे के लंड चुत को चूसने लगे.

कुछ ही देर में दीदी मेरे ऊपर से उठ गईं और बोलीं- अब पेल दो … मुझसे रहा नहीं जाता.

दीदी की साड़ी अलग हो चुकी थी और उनका ब्लाउज खुला हुआ उनके मम्मों पर झूल रहा था.

चाँदनी रात की रोशनी में दीदी की चूचियां बड़ी ही मस्त लग रही थीं.

वे चारपाई पर चित लेट गईं.
तो मैंने उनका हाथ पकड़ा और उन्हें जमीन पर लेटने के लिए कहा.

वे सवालिया नजरों से मेरी तरफ देखने लगीं.
मैंने धीमे से कहा- चारपाई की आवाज ज्यादा होगी!

वे हंसने लगीं.
अब उन्होंने एक दरी नीचे बिछाई और टांगें खोल कर लेट गईं.
मैंने उनकी टांगों के बीच अपने आपको सैट किया और लंड को उनकी चूत पर रगड़ने लगा.

दीदी भी बार बार गांड उठा कर लंड चूत में खाने का जतन कर रही थीं.

कुछ देर के बाद मैंने अपना लंड दीदी की चूत पर लगाया और धीरे से धक्का मारा, मेरा लंड आसानी से चूत में चला गया.

वे आह आह करती हुई लंड से लोहा लेने लगीं.
हम दोनों में घमासान चुदाई चालू हो गई.
मैं दीदी के ऊपर बिल्कुल दंड बैठक जैसे पेल रहा था.

अपने मुँह से कुछ बोल नहीं रहा था, बस ताबड़तोड़ चुदाई कर रहा था.

कुछ देर चुदाई के बाद दीदी का माल निकल गया मगर मेरा अब तक नहीं निकला था.

दीदी ने इशारे से मुझे रोका और अपनी सांसें नियंत्रित करने लगीं.

मैंने दीदी के दूध चूसना चालू कर दिए और कुछ ही समय में दीदी फिर से गर्मा गईं.
मैंने वापस से दीदी को चोदना चालू कर दिया.

कुछ ही समय में दीदी वापस अकड़ने लगीं और अब मेरा भी निकलने वाला था.

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मैंने दीदी से पूछा- कहां निकालूँ?
दीदी बोलीं- चूत से बाहर निकाल दो.

मैंने अपना सारा माल चुत से बाहर टपका दिया.

इस तरह से मैंने जीजू की दीदी की प्यास बुझाई.

चुदाई के बाद मैं कुछ देर तक उनके ऊपर पड़ा रहा और उनसे बात करने लगा.

दीदी ने बताया कि उन्हें मुझसे चुदने की चुल्ल बहुत दिनों से थी इसलिए एक बार मेरे लंड को सेवा का अवसर दिया था.

चुदाई के बाद मैं उठ कर अपने बिस्तर पर आकर सो गया.

दीदी ने दरी को समेट कर रख दिया और वे भी अपनी चारपाई पर जाकर लेट गईं.
सुबह मैं अपने गांव चला गया.

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