मुंबई की रंडी की कुंवारी बेटी की चुदाई – Chudai Ki Kahani

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Chudai Ki Kahani : नमस्कार दोस्तो,मेरा नाम अमित है इस कहानी में!मुझे अपने बचपन से ही कई जगह पर घूमने का चस्का लगा हुआ है; मैं अलग अलग जगह पर घूमने जाता हूं।

किसी काम के सिलसिले में मुंबई निकला था|पर रास्ते में ही मुझे पता चला कि मेरा काम हो गया है|निकला तो था इसलिए सोचा चलो कि मुंबई घूम के आते हैं|और मैं सुबह-सुबह पहुंच गया।मुंबई में मेरा एक दोस्त विकी रहता है|

मैंने उसे कॉल किया और वह मुझे पिक करने आ गया।2:00 बजे तक हमने मुंबई की काफी जगह घूम ली थी।उस दिन विकी के घर पर कुछ प्रोग्राम था इसलिए उसे बार-बार घर से फोन आने लगे|

वह तंग आ गया और मुझे सॉरी बोल कर अपने घर चला गया|मैंने भी उसे कुछ नहीं कहा|पर अब मैं सोचने लगा कि पूरा दिन मैं करूं तो क्या करूं?अकेला इंसान बोर हो जाता है|इसलिए मेरे दिमाग में एक शैतानी ख्याल आया |

मैं मुंबई की कॉल गर्ल ढूंढने लगा।अलग-अलग वेबसाइट पर अलग-अलग नंबर मिल रहे थे।कई लड़कियों को मैंने कॉल किया|उनमें से आधे लोग फोन पर ही फ्रॉड लग रहे थे और काफी मेरी जगह से काफी दूर थे|

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उन में से एक लड़की मेरे लोकेशन के पास ही थी करीब 2 किलोमीटर दूर!उसका नाम था गुप्ता।गुप्ता से मेरी बात हो गई| गुप्ता ने अपनी कुछ फोटो भेजी जिनसे वह 25 से 30 साल की लड़की लग रही थी|

काफी कसा हुआ बदन, लाल नाइटी में कुछ फोटो भेजी थी जिसमें उसने पहने वाली अंदर की ब्रा कुछ हद तक दिख रही थी|
उसी से मेरा लंड खड़ा हो गया।गुप्ता ने मुझे अपना एड्रेस भेज दिया और मैं उसी एड्रेस पर चला गया।

काफी देर इंतजार करने के बाद एक लड़का मुझे लेने आ गया|उसके साथ साथ में कई गलियों में घूम रहा था।मुझे शक होने लगा कि कहीं मुझे धोखा ना दे दे|फिर भी उसके साथ मैं जा रहा था|

कई गलियां जाने के बाद एक बड़ी सी बिल्डिंग दिख रही थी करीब 7,8 मंजिलें होंगी।मैं उस लड़के के साथ साथ उस बिल्डिंग में जाने लगा|तीसरी मंजिल पर वह मुझे एक फ्लैट के अंदर छोड़कर वहां से चला गया|

अंदर एक लड़की बैठी हुई थी, उसकी पीठ मुझे दिख रही थी|उसके साथ एक स्कूल की लड़की थी!किसी तरह की बात को लेकर वह उस लेडी के साथ जिद कर रही थी।मेरी आंखें तो बस गुप्ता को ढूंढ रही थी।

अंदर जाते ही बिना मुड़े लेडी ने मुझे दरवाजा बंद करने के लिए कहा।मैंने दरवाजा बंद कर दिया।वह मेरी ओर मुड़ी … मैं तो हक्का-बक्का रह गया|वही गुप्ता थी जिसकी फोटो मुझे मोबाइल पर मिली थी|

मोबाइल पर एक 25 साल के दिखने वाली लड़की दरअसल शादीशुदा थी।उसने काफी अच्छे से मेरे साथ बात की और मुझे सोफे पर बैठने के लिए कहा, मेरे लिए पानी ला कर दिया|उसकी बेटी अभी भी रो रही थी, जिद कर रही थी|

शायद उसे कुछ चाहिए था पर उसकी मां नहीं दे रही थी।मैंने उस बच्ची को अपने पास बुलाया और समझाया, उसके हाथ में ₹100 का नोट दे दिया|तो वह शांत हो गई और कोने में जा बैठी।

गुप्ता मुझे कहने लगी,अरे आप उसके हाथ में पैसे क्यों दे रहे हो| वह तो ऐसे ही जिद्दी है| अभी आप से पैसे ले लेगी, बाद में फिर से मुझे तंग करना शुरू कर देगी|गुप्ता ने उसे वहीं बैठकर खेलने को कहा|और हम रूम के अंदर चले गए।

मैं गुप्ता की ओर देखता ही रह रहा था।वह रूम में जाकर मेरे करीब आई, उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया, मेरी टी शर्ट में अपना हाथ डाल कर मुझे सहलाने लगी।मुझे काफी मजा आना शुरु हुआ|मैं भी उसे बांहों में लेने लगा|

वह कुर्ती पहने हुए थी।मैं उसकी कुर्ती में अंदर तक हाथ डाल रहा था, उसकी ब्रा का हुक खोलने लगा था|जैसे ही हुक खुल गया वह मेरी आँखों में देखने लगी|उसकी आंखें … माशाल्ला … डूब जाने का दिल कर रहा था!

अभी तक तो दूध के दर्शन हो ही नहीं थे|बस आंखों से ही उसने घायल करना शुरू कर दिया|उसकी मीठी मीठी बातें, उसका धीरे से मुझे काटना और आंखों से अपने आप में समा लेना … कुछ अलग ही अहसास था।

मैं तो जैसे उसकी बांहों में खो गया|वह मेरे टीशर्ट पूरी तरह निकाल चुकी थी और मेरी पैंट खोलने की कोशिश कर रही थी|
मैं भी उसकी कुर्ती उतारने की कोशिश कर रहा था।

उसके हाथों को सीधा कर मैंने उसकी कुर्ती उसकी बदन से दूर कर दिया।अंदर काले रंग की ब्रा में बड़े बड़े दूध, गोरा चिट्टा बदन, उठे हुए निप्पल और गुप्ता… घायल करने वाला नजारा!अगर मैं दो बार अपना हिलाता तो पानी छूट जाता!

इतना उत्तेजित हो गया था मैं!गुप्ता ने मेरे पैन्ट का बटन निकाल दिया और अपना हाथ मेरी चड्डी में डाल दिया|उसने कस कर मेरा 7 इंच का लंड पकड़ा और और मजे से खेलने लगी|लग रहा था जैसे चड्डी फाड़कर लंड बाहर आ जएगा।

मैंने अपने आप को गुप्ता के आगे पूरा नंगा कर दिया|मेरा कद 6 फीट लंबा, अच्छे खासे मसल्स और 7 इंच का लंड हवा में झूल रहा था|गुप्ता तो बस आंखें फाड़ फाड़ कर उसे देख रही थी।उसके मुंह में आ रहा पानी मुझे उसकी ओर खींच रहा था|

सलवार के ऊपर काले रंग की ब्रा और गोरी चिट्टी गुप्ता उस पलंग पर बैठ गई|मैं झट से गुप्ता के पास गया उसकी सलवार का नाड़ा खोला और पैंट निकालकर गुप्ता को नंगी कर दिया|

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मेरे आगे गुप्ता सिर्फ ब्रा और पेंटी में बैठी हुई थी|गुप्ता जैसी भरी हुई बदन वाली गोरी चिट्टी लड़की पता नहीं कैसे एक बच्चे की मां बन गई!वैसे तो लड़कियों को उनकी उम्र के बारे में नहीं पूछना चाहिए पर मैंने जोश जोश में गुप्ता से पूछ लिया|

उसने भी बता दिया,सिर्फ 28 की!मैं तो जैसे शॉकड रह गया क्योंकि उसकी लड़की करीब 13 साल की तो होगी ही|
ऐसा मुझे लग रहा था|इसलिए मैंने उसे पूछ लिया,अरे तेरी बेटी तो13 साल की लग रही थी |

तू इतनी छोटी … और लड़की इतनी बड़ी?उसने हंसकर जवाब दिया,अरे वह 12 साल की नहीं हैं, वह तो 20 साल की जवान हो चुकी है| बस बच्चे जैसे हरकतें करती है| दरअसल वह मेरे शौहर के पहली बीवी की लड़की है|

उनके गुजर जाने के बाद मैं ही उसे संभालती हूं|ऐसे ही हम बातें कर रहे थे|गुप्ता मेरा लंड हिला रही थी, लंड पर थूक लगा लंड को जोर जोर से मसल रही थी|मैंने उसे लंड मुंह में लेने के लिए कह दिया|

कुछ सोचा भी नहीं और उसने मेरा पूरा लंड अपने मुंह में ले लिया, जोर जोर से चूसने लगी|उसके बालों को पकड़कर मैं अपना पूरा लंड उसके मुंह में धकेलने लगा, आगे पीछे, आगे पीछे आगे पीछे!बस जन्नत ही जन्नत!

मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुंच गया था|गुप्ता के दोनों दूध पकड़कर मैं जोर जोर से दबा रहा था|वह अप्सरा से कम नहीं थी| उसकी बड़ी गांड मुझे उसकी तरफ और ज्यादा आकर्षित कर रही थी।

मैंने एकदम से उसका मुंह अपने लंड से दूर किया और उसे धक्का दे दिया|वह धड़ाम से पलंग पर गिर गई और उस पर मैं चढ़ गया|उसकी पैंटी थोड़ी सी बाजू हटाकर मैं उसकी चूत में उंगली डालने लगा|

वह भी खुश लगी … शायद कई दिनों से वह चुदी नहीं थी।दोनों हाथों से उसकी पेंटी पकड़कर मैंने एक झटके में निकाल दी|
गुप्ता की छोटी चूत गुलाबी रंग और चहक रही थी|उसको देख कर ही चाटने का दिल कर रहा था|

लग रहा था जैसे गुलाबी चमचम किसी ने यहां रख दिया हो!इसी बीच मैं उसकी टाँगें फैला कर दो उंगली उसकी चूत के अंदर डाल रहा था|तभी अचानक लेकिन धीमे से दरवाजा खुल गया|

कोई रूम के अंदर आकर हमें इस हालत में देख रहा था|वह गुप्ता की बेटी थी|गुप्ता को पता चलता, उसके पहले मैंने उसे देख लिया|मैं एकदम से रुक गया|

गुप्ता मुझे अपनी ओर खींचने लगी|मैंने बिना सोचे समझे गुप्ता को और ज्यादा उकसाना शुरू किया|गुप्ता को अभी भी पता ही नहीं था कि उसकी बेटी उसे और मुझे सेक्स करते हुए देख रही है|

जैसे ही मैं गुप्ता के मुंह में फिर से लंड देने लगा, गुप्ता ने अपनी बेटी को देख लिया|वह मुझे अपने से दूर कर चादर से अपने आप को ढकने लगी|मैं तो अभी भी पूरी तरह नंगा हवा में लंड चलाता उसके आगे खड़ा था|

वह लड़की मुझे देख रही थी|गुप्ता उसे चिल्लाने लगी,कविता, तुम जाओ यहां से! यहां क्यूं आई हो? मैंने तुम्हें वहां बैठने के लिए कहा था ना| फिर यहां क्यों आई?शायद कुछ कविता नाम था उसका!

गुप्ता अपने आप पर शर्मिंदा होते हुए कविता को डांट रही थी।लेकिन कविता जिद्दी … वह ना सुन कर वहीं खड़ी थी।मैंने थोड़ी देर यह सब देखा और गुप्ता को शांत किया।गुप्ता को कहा,अरे रुको, तुम क्यों डांट रहे हो उसे?

तो गुप्ता मेरी और गुस्से से देखने लगी|मैंने गुप्ता को कहा,ठीक है, ठीक है! गुस्सा मत करो! वह तो छोटी है, उसे क्या पता कि यह सब क्या होता है, सेक्स क्या होता है, लंड क्या होता है, चूत क्या होता है|

गुप्ता मेरी ओर आंखें बड़ी करके देख रही थी कि मैं उस लड़की के आगे क्या कह रहा हूं|पर मैं यह सब जानबूझकर कह रहा था क्योंकि मैं चाहता था कि वह हमें सेक्स करते हुए देखे।क्योंकि गुप्ता ने मुझे कहा था कि उसकी उम्र बड़ी है

लेकिन वह अभी छोटी लगती है|ठीक से मैंने कविता को देखा तो कविता भी कुछ हद तक रसीली दिख रही थी|स्कूल का ड्रेस था और उसके छोटे-छोटे दूध।गुप्ता कविता पर चिल्ला रही थी और बाहर जाने के लिए कह रही थी|

काफी देर हो चुकी थी पर ना गुप्ता चादर हटाने को तैयार थी और ना कविताबाहर जाने को!यह सब देखते हुए मैं गुप्ता पर चिल्लाया,ओए छिनाल रंडी … मैं तुझे पैसे दे रहा हूं| तू मेरी बीवी नहीं है|

ज्यादा होशियारी करेगी तो बिना पैसे दिए निकल जाऊंगा|गुप्ता मेरी मुंह की तरफ देख रही थी|उसे कुछ समझ नहीं आया कि वह क्या करे!मैंने उसकी चादर पकड़ी और खींच ली|गुप्ता ने सिर्फ ब्रा पहनी थी|कविता अभी भी दरवाजे में ही रुकी हुई थी|

मैंने कविता को अपने पास बुलाया|वह चलते चलते हमारे बेड की और आगे आ गई|कविता मुझे और गुप्ता को देख रही थी।
शायद उसने गुप्ता को पहली बार इस हालत में देखा था|गुप्ता एक हाथ से अपनी चूत और दूसरे हाथ से अपने दूध छुपा रही थी|

मैंने गुप्ता को पकड़ लिया और उसकी चूत पर से उसका हाथ हटा दिया|और छाती से भी हाथ अलग कर दिया|गुप्ता ‘नहीं नहीं’ कह रही थी|और कविता को यह सब देखने में काफी अच्छा लग रहा था|यह मैं उसकी आंखों में देख पा रहा था|

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