खाओ पियो चौड़े से, बुर चुदाओ लौड़े से – Antarvasna Sex Story

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Antarvasna Sex Story : नमस्कार दोस्तों ,बारहवीं कक्षा पास करने के बाद जब मैंने कॉलेज में दाखिला लिया तो वहाँ नई सहेलियाँ बनीं|दो चार दिन में ही उनकी बातें सुन सुनकर मुझे यह एहसास हो गया कि |

मैं कितने पिछड़े क़िस्म के स्कूल से पढ़ कर आई हूँ|उनकी बातें और अनुभव सुनकर मेरे अन्दर भी किसी से प्यार करने की इच्छा जागृत हो गई, सीधे शब्दों में कहूँ कि मैं चुदवाने के लिए बेताब होने लगी|

कॉलेज में ज्यादातर लड़कियाँ अपनी स्कूटर या कार से आती जाती थीं, मैं और तीन चार अन्य लड़कियाँ ही सिटी बस से कॉलेज आती जाती थीं|एक दिन कॉलेज से निकलने के बाद मैं बस स्टॉप पर बस का इंतज़ार कर रही थी |

कि एक हॉण्डा सिटी कार मेरे पास आकर रुकी, कार उमेश अंकल चला रहे थे, उमेश अंकल पापा के दोस्त थे और हमारे घर के सामने ही रहते थे|उन्होंने मुझसे पूछा,घर चलना है?मेरे हाँ कहते ही उन्होंने कार का दरवाजा खोला|

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मैं उनके बगल की सीट पर बैठी और थोड़ी ही देर में घर पहुँच गई|घर पहुँचने के काफी देर बाद तक मेरे जहन से बस और कार के सफ़र का फर्क निकल नहीं पा रहा था, मैं सोच रही थी कि कितना सुखी रहता है कार में सफ़र करने वाला!

ना धूल मिटटी, ना गर्मी, ठाठ से ए|सी| में बैठकर सफ़र कीजिए|अब अक्सर यह संयोग होने लगा कि मेरे कॉलेज से निकलने के समय उमेश अंकल उधर से गुजरते और मुझे साथ ले लेते| मेरे पापा भी खुश हो जाते कि|

आज भी वापसी का बस का किराया बच गया|एक दिन मेरे कार में बैठते ही उमेश अंकल ने पूछा,दस पन्द्रह मिनट देर हो जाए तो कोई परेशानी तो नहीं है ना?मैंने कहा,नहीं अंकल, कोई परेशानी नहीं है!उमेश अंकल ने कार एक रेस्तरां के बाहर रोकते हुए

कहा,इसका डोसा बहुत टेस्टी है! पापा के साथ इस रेस्तरां में आने के बारे तो मैं सोच भी नहीं सकती थी, वो एक नंबर के कंजूस आदमी हैं| खैर, हमने डोसा खाया और घर आ गए|

अब हर दूसरे चौथे दिन हमारा इसी तरह कहीं खाने पीने का प्रोग्राम होने लगा| एक दिन रेस्तरां में कॉफ़ी पीते पीते उमेश अंकल बोले बहुत दिनों से पिक्चर देखने का मन हो रहा है, अगर कहो तो कल चलें, रानी मुखर्जी की नई फिल्म लगी है|

मैंने कहा,कल कब?अं कल ने कहा,कॉलेज बंक करके, तुम्हारे घर किसी को पता भी नहीं चलेगा| कुछ अंकल के अहसान, कुछ नई उमंग और कुछ अनजानी सी चाहत ने मेरे मुँह से हाँ निकलवा दी|

अगले दिन तय कार्यक्रम के हिसाब से हम मिले और पिक्चर देखने सिनेमा हॉल में पहुँच गए| इंटरवल तक आराम से पिक्चर देखी और बातचीत करते रहे| इंटरवल में उमेश अंकल पॉप कॉर्न और कोका कोला ले आये|

पिक्चर चलती रही और हम पॉप कॉर्न खाते रहे, पॉप कॉर्न लेने के दौरान कई बार एक दूसरे से हाथ छू हो गया तो उमेश अंकल ने कहा,मनमीत जब तुम्हारा हाथ छूता है तो मेरे शरीर में कर्रेंट सा दौड़ जाता है, तुम्हें कुछ नहीं होता क्या?

मैं कुछ नहीं बोली तो उमेश अंकल ने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर पूछा,मेरे छूने से तुम्हे कुछ नहीं होता क्या? मैंने धीरे से कहा,होता है!तो उन्होंने मेरा हाथ चूम लिया, अपने दोनों हाथों में मेरा हाथ छुपा लिया |

बोले,यह हाथ मैं कभी नहीं छोडूंगा! इसके बाद लगभग रोज ही मैं उनके साथ आने जाने लगी और हम लोगों में छूने और चूमने का काम शुरू हो गया| एक रात को एक बजे मेरे मोबाइल पर उमेश अंकल का कॉल आया,क्या कर रही हो?

मैंने कहा,सो रही थी! तो बोले,मनमीत, हमारी नींद उड़ाकर तुम सो रही हो? इसके बाद रोज़ रात को हम लोगों की बातचीत शुरू हो गई| बातचीत का विषय चलते चलते यहाँ तक आ पहुँचा कि  उमेश अंकल कहना मैं छोड़ चुकी थी |

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बोले,जिस दिन तुम्हारी चूत के गुलाबी होठों को खोलकर अपना लंड उस पर रखूँगा, तुम जन्नत में पहुँच जाओगी| वास्तविकता यह थी कि उमेश मुझे चोदने के लिए जितना बेताब थे मैं चुदवाने के लिए उससे ज्यादा बेताब थी|

उमेश की कल्पना करके ना जाने कितनी बार उंगली से काम कर चुकी थी| खैर, जहाँ चाह वहाँ राह! वंदना आंटी उमेश की पत्नी कुछ दिनों के लिए अपने मायके गई| रात को उमेश का फ़ोन आया,कल का क्या प्रोग्राम है?

मैंने कहा,कुछ नहीं! आप बताएँ तो बोले,कल कॉलेज बंक करो, मैं भी ऑफिस नहीं जाता! मेरे घर आ जाना, दोनों मिलकर अच्छा सा खाना पकायेंगे, खायेंगे| मैंने कहा,ठीक है, आप अपने घर का पिछला दरवाज़ा खुला रखना, मैं पीछे से आऊँगी|

इतना सुनकर उमेश ने फ़ोन काट दिया|मैंने अपना दाहिना हाथ अपनी चूत पर फेरते हुए कहा,मुनिया रानी ( चूत का यह नाम कॉलेज की लड़कियों ने रखा था) कल तुझे लंड की प्राप्ति होने वाली है! तैयार हो जा!

मैं सुबह थोड़ा जल्दी उठी, अपनी चूत के आस पास के अनचाहे बालों (झांटों) को साफ़ किया, अच्छे से नहा धोकर तैयार हुई, सुन्दर सा सूट पहना और मम्मी से ‘कॉलेज जा रही हूँ’ कहकर घर से निकल पड़ी|

चुदवाने के ख्याल से दिल बल्लियों उछल रहा था, मन में हल्का सा डर भी था लेकिन डर पर चाहत भारी थी| उमेश के घर पिछले दरवाज़े पर हाथ रखा तो खुल गया| अन्दर घुसकर दरवाजा बंद किया तो तौलिया लपेटे उमेश मेरे सामने आ गए|

शायद नहाने जा रहे थे|पहली बार उन्हें इस रूप में देखकर मैं रोमांचित हो गई| उमेश करीब पचास साल के 5 फुट 10 इंच लम्बे हृष्ट-पुष्ट व्यक्ति थे, बालों से भरा उनका सीना उनसे लिपट जाने की दावत दे रहा था|

एक कदम मैं आगे बढ़ी और दो कदम उमेश | मैं उनके सीने से लग गई, उन्होंने मेरे माथे पर चूमा, मेरे चूतड़ों को हल्के-हल्के हाथों से दबाने लगे, मैं बेहाल होती जा रही थी| उमेश ने एक एक करके मेरे सारे कपड़े उतार दिए|

संतरे के आकार के मेरे मम्मे देखकर उनकी आँखों में चमक आ गई और मेरी चूत के दर्शन करते ही वो पागल से हो गए और अपने होंठ मेरी चूत पर रखकर चूमने-चाटने लगे| उनके चाटने से मेरी चूत भयंकर रूप से गीली हो गई |

चुदने के लिए बेताब हो गई| उमेश चूत को चाटते ही जा रहे थे, मैंने उनका तौलिया खींच कर अलग कर दिया| तौलिया हटते ही उनका लंड मुझे दिख गया, उमेश का लंड देखते ही मेरी तो गांड ही फट गई और चुदवाने का नशा हिरण होने लगा|

कारण यह कि उमेश का लंड करीब 8 इंच लम्बा और काफी मोटा था, मुझे मालूम था कि यह मेरी चूत का भुरता बना देगा|मैंने अपने जीवन में इससे पहले सिर्फ एक बार लंड देखा था, वो भी अपने पापा का|

एक बार रात को मैं बाथरूम जाने के लिए उठी तो देखा मम्मी पापा के कमरे की लाईट जल जल रही थी, उत्सुकता से खिड़की की झिर्री से देखा कि मम्मी नंगी लेटी हुई हैं और पापा अपने लंड पर कंडोम चढ़ा रहे थे|

पापा का लंड करीब 4-5 इंच लम्बा रहा होगा| आप ही सोचिये कोई बीस साल की कुंवारी लड़की जो 4-5 इंच का लंड अपनी बुर में लेने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो, उसे आठ इंच लम्बा अच्छा खासा मोटा लंड दिख जाए |

तो वो घबरायेगी या नहीं? मुझे ख्यालों में खोया देखकर उमेश बोले,क्या हुआ जान? मैं कुछ नहीं कह सकी, मैंने कहा कुछ नहीं| उमेश मेरे करीब आ गए और मेरा एक मम्मा अपने मुँह में ले लिया तथा दूसरे पर उँगलियाँ फिराने लगे|

इस सबसे मुझमें उत्तेजना भर गई| उमेश ने अपना एक हाथ मेरी चूत पर रखा और अपनी उंगली अन्दर-बाहर करने लगे|मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैं चुदासी हो चुकी थी| मैंने कहा,उमेश अब मेरे अन्दर समा जाओ!

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उमेश उठे, मेरी टांगों के बीच आकर अपने लंड का सुपारा मेरी चूत के होठों पर रखा, हल्के से दबाया और सुपारा चूत के अन्दर! एक झटके में आधा लंड और दूसरे झटके में हल्के दर्द के साथ पूरा लंड मेरी मेरी मुनिया रानी के अन्दर जा चुका था|

मैं हैरान थी कि जिस लंड को मैं देखकर डर रही थी वो कितनी आसानी से मुझे चोद रहा था| करीब आधे घंटे तक चोदने के बाद उमेश उठे और अपने लंड पर कंडोम चढ़ाकर फिर जुट गए|

उस दिन उमेश ने मुझे तीन बार चोदा और उसके बाद सैकड़ों बार! आज मैं छब्बीस साल की हो चुकी हूँ, उमेश से चुदते-चुदते छः साल हो चुके हैं और शायद बाकी ज़िन्दगी भी उमेश से ही चुदवाना पड़े क्योंकि कंजूस प्रवृति के|

मेरे पापा शायद मेरी शादी कभी नहीं कर पायेंगे| बिना दहेज़ के शादी होगी नहीं और दहेज़ मेरे पापा देंगे नहीं!अगर कहानी पसंद आई हो तो अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करें। हमारी वेबसाइट sexylisa.in आपके लिए ऐसी ही मजेदार चुदाई की कहानियां लाती रहेगी।

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