सेक्सी चाची की जवानी के जलवे – Chachi ki Chudai

Sexylisa - Hindi Sex Story

Sex Story

Chachi ki Chudai : मेरा नाम सूरज है और मैं 22 साल का हूं|मैं अपने मम्मी पापा के साथ दिल्ली में रहता हूँ|बात उन दिनों की है जब मेरे चाचा जी की तबीयत खराब हो गयी थी और वो दिल्ली के हॉस्पिटल में भरती थे|

इधर मेरी चाची जी को गाँव से लाने का काम मुझे करना था इसलिए मैं गाँव चंडीगढ़ eचला गया|चाचा की शादी अभी २ बरस पहले ही हुई थी और शादी के कुछ ही महीने बाद से वो दिल्ली में काम करने लगे थे|

दो तीन महीने में एक दो दिन के लिए वो गाँव जाते थे|इधर बीमारी के वजह से वो तीन महीने से गाँव नहीं जा सके थे|गाँव में पहुँचा तो मेरे दादा दादी जो कि चाचा जी के साथ रहते थे, अपने किसी रिश्तेदार से मिलने ४-५ दिन के लिए चले गये |

घर में सिर्फ़ मैं और चाची अकेले रह गये| वैसे तो दादाजी और मैं घर के बाहर बरामदे में सोते थे और चाची जी और दादीजी घर के अंदर, पर अब चाची जी ने कहा कि तुम भी अंदर ही सो जाओ|रात में खाना खाने के बाद मैंने दरवाज़ा अंदर से बंद कर के |

चुदक्कड़ चाची को कुतिया बना के चूत चोदी – Chachi Ki Chudai

Sex Story

दादीजी के कमरे में सोने चला गया|चाची बोली कि “लल्लाजी तुम मेरे ही कमरे में आ जाओ, बात करते करते सोएंगे” मैंने कहा कि ठीक है और उनके कमरे में चला गया|चाची जी के कमरे में एक ही पलंग था और मैंने पूछा कि आप कहाँ सोएंगी|

वो बोली,मैं नीचे ज़मीन पर सो जाऊँगी| मैंने कहा,नहीं, आप पलंग पर सो जाओ मैं नीचे सो जाता हूँ| वो बोली,नहीं तुम पलंग पर सो जाओ| मैं नहीं माना और मज़ाक में बोला कि आप इसी पलंग पर सो जाओ, काफ़ी बड़ा तो है, दिक्कत नहीं होगी|

पहले तो वो हँसी पर फिर बोली कि ठीक है, तुम दीवार के तरफ सरको मैं ऊपर ही आती हूँ|मैं दीवार के तरफ सरक गया और चाचीजी ने लालटेन बिल्कुल धीमा करके मेरे बगल में आकर लेट गयी|लगभग आधा घंटा हम लोग बात करते करते सो गये|

अब तक मैं सिर्फ़ चाचीजी को अपनी चाची के तरह ही देखता था|वो जबकि काफ़ी जवान थी, लगभग २२-२३ साल की, पर मेरे मन में ऐसी कोई ग़लत भावना नहीं थी|पर वहाँ चाचीजी को अकेले में एक ही बिस्तर पर पाकर मेरे मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी|

मेरा लंड एक खड़ा था और दिमाग़ में सिर्फ़ चाची की जवानी ही दिख रही थी|किसी तरह मैंने इन सब गंदी बातों से ध्यान हटाकर सो गया|लगभग आधी रात में मेरी नींद खुली और मुझे ज़ोर से पेशाब लगी थी|

मैं तो दीवार के तरफ था और उतरने के लिए चाची के उपर से लाँघना पड़ता था|लालटेन भी बहुत धीमी जल रही थी और अंधेरे में कुछ साफ दिख नहीं रहा था|अंदाज़ से मैं उठा और चाचीजी को लाँघने के लिए उनके पांव पर हाथ रखा|

हाथ रखा तो जैसे करेंट लग गया|चाची जी की साडी उनके घुटनों के उपर सरक गयी थी और मेरा हाथ उनके नंगी जांघों पर पड़ा था|चाचीजी को कोई आहट नहीं हुई और मैं झट से उठकर रूम के बाहर पेशाब करने चला गया|

पेशाब करने के बाद मेरा मन फिर चाचीजी के तरफ चला गया और लंड फिर से टाइट हो गया|मैंने सोचा कि चाची तो सो रही है, अगर मैं भी थोड़ा हाथ फेर लूं तो उनको मालूम नहीं पड़ेगा|और अगर वो जाग गयी तो सोचेगी कि मैं नींद में हूँ और कुछ नहीं कहेंगी|

दोबारा पलंग पर आने के बाद मैं चाची के बगल में लेट गया|चाचीजी अब भी निश्चिंत भाव से सो रही थी|मैंने लालटेन बिल्कुल बुझा दी जिससे कि कमरे में घुप अंधेरा हो गया|लेटने के बाद मैं चाची के पास सरक कर अपना एक हाथ चाचीजी के पेट पर रख दिया|

थोड़े इंतजार के बाद जब देखा कि वो अब भी सो रही थी मैंने अपना हाथ थोडा उपर सरकाया और उनके ब्लाउस के उपर तक ले गया|उनकी एक चुची की आधी गोलाई मेरे उंगलियों के नीचे आ गयी थी|धीरे धीरे मैंने उनकी चुची दबाना शुरू किया |

कुछ ही देर में उनकी वो पूरी चुची मेरे हांथों में थी|मुझे ब्लाउस के उपर से उनकी ब्रा फील हो रही थी पर निपल कुछ मालूम नहीं पड़ रहा था|चाचीजी अब भी बेख़बर सो रही थी और मेरा लंड एकदम फड़फड़ा रहा था|सिर्फ़ ब्लाउस के उपर से चुची दबाकर मज़ा नहीं आ रहा था|

दिल्ली के बस और ट्रेन में ना जाने कितने ही लड़कियों की चुची दबाई है मैने|मैंने सोचा कि अब असली माल टटोला जाए और अपना हाथ उठा कर चाचीजी की जाँघ पर रख दिया|मेरा हाथ चाची की साडी पर पड़ा पर मुझे मालूम था |

की थोडा नीचे हाथ सरकाउं तो जाँघ खुली मिलेगी|मैंने हाथ नीचे सरकाया चाची की नंगी जांघ मेरे स्पर्श में आ गयी क्या नरम गरम जाँघ थी चाची की। तभी मेरा स्पर्श पाकर चाचीजी ने थोड़ी हलचल की और फिर शांत हो गयी|

मैं भी थोड़ा देर रुक कर फिर अपना हाथ उपर सरकाने लगा|साथ में साडी भी उपर होते जा रही थी|चाचीजी फिर से कुछ हिली पर फिर शांत हो गयी|मेरा मन अब मेरे बस में नहीं था और मैंने अपना हाथ चाची के दोनो जांघों के बीच में ले जाने की सोची|

पर मैंने पाया कि चाची की दोनो जाँघ आपस में उपर सटे हुए थे और उनकी बुर तक मेरी उंगलियाँ नहीं पहुँच सकती थी|फिर भी मैंने अपना हाथ उपर सरकाया और साथ में मेरी उंगली दोनो जांघों के बीच में घुसाने की कोशिश की|

Previous Article

चाची का मूड बना के फुद्दी मारी – Chachi Ki Chudai

Next Article

गांव की चाची को शहर में धमाधम चोदा – Chachi Ki Chudai

Write a Comment

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Subscribe to our Newsletter

Subscribe to our email newsletter to get the latest posts delivered right to your email.
Pure inspiration, zero spam ✨